उज्जैन संभाग के जिले और तहसील – पूरी जानकारी, नक्शा और इतिहास

उज्जैन संभाग के जिले और तहसील

उज्जैन संभाग के जिले और तहसील: ऐतिहासिक एवं प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जानकारी

मध्य प्रदेश का एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक क्षेत्र उज्जैन अपनी ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत से प्रसिद्ध है। इस संभाग में कई महत्वपूर्ण जिले हैं, जो आर्थिक, धार्मिक और पर्यटन के लिए प्रसिद्ध हैं। “उज्जैन संभाग के जिले और तहसील” विषय पर इस लेख में विस्तार से चर्चा की जाएगी।

उज्जैन संभाग के जिले और तहसील

#उज्जैन संभाग का इतिहास – उज्जैन संभाग का गौरवशाली इतिहास है। यह आज उज्जैन नामक प्राचीन अवंतिका नगरी का हिस्सा था। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग इस क्षेत्र को पूरे भारत में प्रसिद्ध करता है। उज्जैन कालगणना का केंद्र है और भारत के सात प्रमुख मोक्षदायिनी तीर्थों में से एक है।

उज्जैन पहले मौर्य, गुप्त, परमार और मराठा राजाओं के अधीन था। यह विक्रमादित्य के राजकाल में बहुत महत्वपूर्ण था और कालिदास जैसे महान कवि ने यहाँ अपनी रचनाएँ लिखीं। यह ब्रिटिश सरकार के दौरान एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक केंद्र था, और मध्य प्रदेश के गठन के बाद यह संभागीय मुख्यालय बन गया।

उज्जैन संभाग के जिले और तहसील

वर्तमान में उज्जैन संभाग में 7 जिले शामिल हैं। ये जिले प्रशासनिक और विकास की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

1. उज्जैन जिला

  • तहसीलें: महिदपुर, नागदा, घट्टिया, खाचरौद, बड़नगर, तराना, उज्जैन
  • मुख्य आकर्षण: महाकालेश्वर मंदिर, कालिदास अकादमी, शिप्रा नदी

2. देवास जिला

  • तहसीलें: देवास, सोनकच्छ, खातेगांव, कन्नौद, बागली
  • मुख्य आकर्षण: चापड़ा जलाशय, कुशवाहा महल, टेकरी सरकार मंदिर

3. रतलाम जिला

  • तहसीलें: रतलाम, आलोट, जावरा, सैलाना, बाजना
  • मुख्य आकर्षण: किला रतलाम, केसर बाग, महालक्ष्मी मंदिर

4. मंदसौर जिला

  • तहसीलें: मंदसौर, मल्हारगढ़, गरोठ, सीतामऊ
  • मुख्य आकर्षण: गांधी सागर बांध, पशुपतिनाथ मंदिर, मीनाक्षी मंदिर

5. नीमच जिला

  • तहसीलें: नीमच, जावद, मनासा
  • मुख्य आकर्षण: नाहरगढ़ किला, गांधी सागर अभयारण्य

6. शाजापुर जिला

  • तहसीलें: शाजापुर, गुलाना, मोहन बड़ोदिया, शुजालपुर, अवंतिपुर बड़ोदिया
  • मुख्य आकर्षण: शनि मंदिर, राजराजेश्वरी मंदिर

7. आगर-मालवा जिला

  • तहसीलें: आगर, नलखेड़ा, सुसनेर, बड़ौद
  • मुख्य आकर्षण: बगलामुखी माता मंदिर, बावन कुंड

उज्जैन संभाग की प्रशासनिक और भौगोलिक विशेषताएँ1.प्रशासनिक दृष्टि – मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग में स्थित उज्जैन संभाग राजस्थान और गुजरात से लगता है।

2.कृषि एवं उद्योग – यहाँ मुख्यतः सोयाबीन, चना, गेहूँ और प्याज की खेती होती है। मंदसौर और नीमच अफीम बनाने के लिए जाना जाता है।

3.पर्यटन एवं धार्मिक महत्व – इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण धार्मिक स्थानों में महाकालेश्वर मंदिर, पशुपतिनाथ मंदिर और शनि मंदिर शामिल हैं।

4.परिवहन – उज्जैन, रतलाम और देवास रेलवे नेटवर्क से जुड़कर देश के अन्य हिस्सों से अच्छी तरह जुड़े हुए हैं।

मध्य प्रदेश का उज्जैन संभाग ऐतिहासिक, धार्मिक और प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। “उज्जैन संभाग के जिले और तहसील” में प्रशासनिक संरचना को दिखाया गया है, जो पर्यटन और विकास के लिए निरंतर विकसित हो रहा है। मध्य प्रदेश के इतिहास, संस्कृति और प्रशासनिक संरचना में रुचि रखने वाले लोगों के लिए उज्जैन संभाग का अध्ययन बहुत उपयोगी होगा।

उज्जैन और कालिदास: साहित्य और संस्कृति का अमर संबंध

उज्जैन का नाम सुनते ही भारत के प्रसिद्ध संस्कृत कवि कालिदास की याद आती है। उज्जैन एक ऐतिहासिक, धार्मिक नगरी है जो संस्कृत साहित्य और काव्य परंपरा का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। संस्कृत साहित्य के सर्वश्रेष्ठ कवि कालिदास का जीवन और उनकी रचनाएँ उज्जैन से बहुत जुड़े हुए हैं।

कालिदास और उज्जैन का ऐतिहासिक संबंध – कालिदास प्राचीन भारत के सर्वश्रेष्ठ कवि और नाटककार था। वे चौथी-पाँचवीं शताब्दी ईस्वी में गुप्तकाल में पैदा हुए थे और अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा उज्जैन में बिताया था। उज्जैन उस समय मालवा क्षेत्र की राजधानी थी और इसका नाम अवन्ति था। ऐसा माना जाता है कि महाराजा विक्रमादित्य के दरबार के नवरत्नों में कालिदास प्रमुख थे। उन्होंने अपनी महान काव्य कृतियों को उज्जैन में लिखा, जो उस समय ज्ञान, ज्योतिष और साहित्य का महत्वपूर्ण केंद्र था।

कालिदास की प्रमुख रचनाएँ और उज्जैन – कालिदास ने उज्जैन में कई महान कृतियाँ लिखीं। उनकी कला में प्रेम, प्रकृति और उज्जैन के गौरवशाली इतिहास दिखाई देते हैं।

1.मेघदूत – यह कालिदास का सर्वश्रेष्ठ साहित्य है।
इसमें एक यक्ष मेघ (बादल) को दूत बनाकर अपनी प्रेमिका को संदेश भेजता है।
इस काव्य में उज्जैन की नदियों, महलों, मंदिरों और प्राकृतिक सौंदर्य का सुंदर चित्रण है।

2.कुमारसंभव – यह काव्य माता पार्वती और भगवान शिव के विवाह पर आधारित है।
इसमें भी उज्जैन और कैलाश पर्वत के संबंध का उल्लेख है।

3.रघुवंश – यह ग्रन्थ रघुवंश के राजाओं की गाथा बताता है।
इसमें उज्जैन को एक शक्तिशाली शहर के रूप में चित्रित किया गया है।

4.अभिज्ञान शाकुंतलम – यह कालिदास का प्रसिद्ध नाटक है, जो राजा दुष्यंत और शकुंतला की प्रेम कहानी पर आधारित है।
इस नाटक में उज्जैन के सांस्कृतिक और राजनीतिक महत्व को उजागर किया गया है।

कालिदास और उज्जैन की संस्कृति पर प्रभाव

कालिदास अकादमी – उज्जैन में संस्कृत और साहित्य का अध्ययन करने के लिए एक महत्वपूर्ण संस्था है।

महाकाल की नगरी – कालिदास ने उज्जैन को भगवान शिव की नगरी के रूप में बहुत महत्वपूर्ण बताया है।

प्राकृतिक सौंदर्य – उनकी कविताओं में उज्जैन के मंदिरों, बाग-बगीचों, शिप्रा नदी और अद्भुत वास्तुकला का व्यापक वर्णन है।

कालिदास समारोह – उज्जैन में हर साल “कालिदास समारोह” होता है, जो संस्कृत साहित्य, नाटक और कला को प्रोत्साहित करता है।

कालिदास और उज्जैन के बीच का संबंध अटूट और ऐतिहासिक है। कालिदास ने उज्जैन की संस्कृति, धार्मिक महत्व और प्राकृतिक सौंदर्य को जीवंत रूप से चित्रित किया है। उनकी रचनाएँ आज भी भारत और पूरे विश्व में संस्कृत साहित्य के अनमोल रत्न मानती हैं। उज्जैन को कालिदास की नगरी कहा जाता है, और आज भी इस शहर में महान साहित्यिक कृतियाँ हैं।

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