रीवा संभाग के जिले और तहसील: इतिहास, संस्कृति और प्रशासनिक जानकारी

रीवा संभाग के जिले और तहसील

इस प्रमुख मध्य प्रदेश संभाग में चार जिले हैं। ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक विशेषताओं से ये जिले प्रसिद्ध हैं।

रीवा संभाग के जिले और तहसील
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  1. रीवा जिला
    • तहसील: रीवा, सिरमौर, गुढ़, मऊगंज, नईगढ़ी, हनुमना
  2. सतना जिला
    • तहसील: सतना, मैहर, रामनगर, नागौद, अमरपाटन, रघुराजनगर
  3. सीधी जिला
    • तहसील: सीधी, चुरहट, गोपद बनास, मझौली, सिहावल
  4. सिंगरौली जिला
    • तहसील: सिंगरौली, देवसर, बैढ़न, चितरंगी

रीवा संभाग के जिले और तहसील स्थानीय विकास को तेज करने के लिए प्रशासनिक कार्यों को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए बनाया गया है।

रीवा संभाग के जिले और तहसील

रीवा संभाग: ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण

#रीवा संभाग, मध्य प्रदेश के केंद्र में स्थित, प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, साथ ही इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है. यह प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध परंपरा और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है।

रीवा संभाग का इतिहास – रीवा संभाग का गौरवशाली इतिहास है। यह स्थान सदियों से एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और प्रशासनिक केंद्र रहा है। महाभारत काल में इसे शक्तिशाली चेदी साम्राज्य का भाग माना जाता था। गुप्त वंश और कलीचुरी वंश ने बाद में इस क्षेत्र पर शासन किया।

मध्यकाल में, बघेल वंश ने रीवा को अपनी राजधानी बनाया और इसे एक संपन्न राज्य बनाया। रीवा को प्रशासनिक और सांस्कृतिक सुविधाएं बघेल राजा वीर सिंह देव और महाराज गुलाब सिंह ने दीं। यही जगह भारत का पहला सफेद बाघ मिला, जो रीवा को एक विशिष्ट पहचान दिलाया।

ब्रिटिश शासन के दौरान, रीवा राज्य को एक स्वतंत्र रियासत के रूप में मान्यता दी गई थी, लेकिन 1947 में भारत की आज़ादी के बाद इसे मध्य प्रदेश में मिला दिया गया। आज भी यहाँ की ऐतिहासिक इमारतें और किले इस क्षेत्र की गौरवशाली विरासत को दर्शाते हैं।

रीवा संभाग का परिचय

रीवा संभाग, मध्य प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित है, अपने बड़े भू-भाग और प्राकृतिक संसाधनों से खास है। विंध्याचल पर्वतमाला इस संभाग की भौगोलिक विशेषताओं को विशिष्ट बनाती है। यह क्षेत्र प्राचीन मंदिरों, जलप्रपातों और ऐतिहासिक स्थानों के लिए जाना जाता है।

संभाग की सांस्कृतिक विशेषताएँ – रीवा क्षेत्र का सांस्कृतिक जीवन बहुत विविध है। पूरे मध्य प्रदेश में यहाँ की लोक कला, संगीत और नृत्य प्रसिद्ध हैं। हिंदी से काफी मिलती-जुलती बोली यहाँ बघेली है। नवरात्रि, दिवाली, होली और गणेशोत्सव यहाँ के प्रमुख त्यौहार हैं।

रीवा संभाग का प्राकृतिक सौंदर्य – रीवा क्षेत्र प्राकृतिक रूप से बहुत समृद्ध है। इसे पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण बनाने वाले कई जलप्रपात और प्राकृतिक स्थान हैं। इस क्षेत्र के प्रमुख आकर्षणों में गोविंदगढ़ झील, केवटी जलप्रपात, बहुती जलप्रपात और पुरवा जलप्रपात शामिल हैं।

रीवा संभाग की अर्थव्यवस्था और विकास – रीवा संभाग मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र है, जहाँ गेहूँ, चावल और दलहन की खेती की जाती है। इसके अलावा, बॉक्साइट और कोयला जैसे खनिज इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हैं। सिंगरौली में कई ताप विद्युत संयंत्र हैं, इसलिए इसे “भारत की ऊर्जा राजधानी” भी कहा जाता है।

शिक्षा और आधुनिक विकास – रीवा भी शिक्षा में अग्रणी है। यहाँ रीवा इंजीनियरिंग कॉलेज, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय और अन्य महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थान हैं। यहाँ के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने कई योजनाएँ शुरू की हैं।

पर्यटन और ऐतिहासिक स्थल

रीवा संभाग में कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल हैं जो इसे पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाते हैं। इनमें प्रमुख हैं:

बहुती जलप्रपात – यह जलप्रपात प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है।

रीवा किला – बघेल वंश के राजाओं द्वारा निर्मित यह किला ऐतिहासिक धरोहर है।

गोविंदगढ़ किला – यह किला सफेद शेरों के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध था।

देवराज नगर मंदिर – धार्मिक महत्व का यह मंदिर हिंदू संस्कृति का प्रतीक है।

रीवा संभाग, अपनी ऐतिहासिक विरासत, प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विविधता के कारण मध्य प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण संभागों में से एक है। रीवा संभाग तेजी से विकसित हो रहा है, जिले और तहसील प्रशासनिक कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। इस संभाग का पर्यटन, शिक्षा और औद्योगिक विकास मध्य प्रदेश की वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

यहाँ की प्राकृतिक संपदा, ऐतिहासिक धरोहरें और समृद्ध परंपराएँ इसे खास बनाती हैं। रीवा संभाग प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक स्थानों को देखना चाहते हैं तो आपकी यात्रा सूची में जरूर होना चाहिए।

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