ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग | मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में, माँ नर्मदा के किनारे मान्धाता या शिवपुरी नामक द्वीप पर बसा हुआ है | यह बहुत ही अद्भुत व् मनमोहक स्थान हे | जो इंदौर शहर से 78 किलोमीटर की दुरी पर मोरटक्का गाँव से लगभग 13 किलोमीटर दूर बसा हे | ओम्कारेश्वर का निर्माण नर्मदा नदी से स्वतः ही हुआ हे | यह भारत की पवित्र नदियों में से एक हे | सदियों पहले भील जनजाति ने इस जगह पर लोगो की बस्तियां बसाई थी | यह द्वीप हिन्दू पवित्र चिन्ह ॐ के आकार का बना हुआ हे | यहाँ दो मंदिर स्थित हे | *ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिग मंदिर * ममलेश्वर मंदिर |

हालाँकि मध्य प्रदेश में देश के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से 2 ज्योतिर्लिग विराजमान हे | एक उज्जैन में महाकालेश्वर के रूप में , और दूसरा ओम्कारेश्वर में ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिग के रूप में |

मान्यता

ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की मान्यता – शास्त्रों के अनुसार एसा माना गया हे की जो भी तीर्थ यात्री चाहे सभी तीर्थ कर ले ,जब तक वह सभी किये गए तीर्थो का जल लाकर ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिग पर नहीं चढाता , उसके सारे तीर्थ अधूरे माने जाते हें | इसके अलावा यहाँ बहती माँ नर्मदा का भी शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया हे , जमुना जी में 15 दिन का स्नान व् गंगा जी में 7 दिन का स्नान जो फल प्रदान करता हे , उतना ही पुण्य यहाँ माँ नर्मदा जी के दर्शन मात्र से मिल जाता हे |

जिस प्रकार उज्जैन के महाकाल मंदिर की भस्म आरती विश्व प्रसिद्ध हे | उसी प्रकार ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिग मंदिर की शयन आरती विश्व प्रसिद्ध हे | कहा तो यह भी जाता हे की , भगवन शिव यहाँ पर हर रात्रि को सोने के लिए आते हे | और रात्रि में ही भगवन शिव व् माता पार्वती यहाँ चौसर का खेल खेलते हे , जिस कारण से रात्रि के समय यहाँ मंदिर में चौपड़ बिछाई जाती हे | धार्मिक मान्यतावों के अनुसार ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के आस पास 68 तीर्थ स्थल हे | और यहाँ भगवान शिव 33 करोड़ देवताओं के साथ विराजमान हे |

ओम्कारेश्वर आने का उचित समय

ओम्कारेश्वर घुमने जाने का उचित समय अक्टूबर से फरवरी तक रहता हे | इस दौरान तापमान लगभग 15-30 डिग्री सेल्सियस होता हे | यह समय दर्शनीय स्थलों की यात्रा , मंदिर के दर्शन और स्थानीय संस्कृति को देखने के लिए काफी सुखद अनुभव हे |

ओम्कारेश्वर दर्शन

नदी किनारे बसी , बस्ती को विष्णुपूरी कहते हे | यहाँ नर्मदा जी पर पक्का घाट बना हुआ हे | नर्मदा जी को सेतु अथवा नोका द्वारा पार कर यात्री मान्धता द्वीप में पहुँचता हें | यहीं स्नान करके यात्री सीड़ियों से ऊँपर चढ़कर ओम्कारेश्वर में दर्शन करने जाते हे | मंदिर तट से कुछ ऊँचाई पर बसा हुआ हे |

मंदिर के अहाते में पंचमुखी गणेश जी की मूर्ति हे | प्रथम तल पर ओम्कारेश्वर लिंग विराजमान हे | यह लिंग मंदिर शिखर के ठीक निचे न होकर , एक और हटकर हे | लिंग के चारो और जल भरा रहता हे | मंदिर का द्वार छोटा हे | ओम्कारेश्वर में सीडियां चढ़कर दूसरी मंजिल पर महाकालेश्वर लिंग के दर्शन होते हें | तीसरी मंजिल पर सिद्धनाथ लिंग हे | चौथी मंजिल पर गुप्तेश्वर लिंग हे | और पांचवी मंजिल पर ध्वजेश्वर लिंग हे | नर्मदा और कावेरी नदी का संगम ओम्कारेश्वर में होता है |

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