
हम इस लेख में इंदौर संभाग के जिले और तहसील के बारे में चर्चा करेंगे, जो मध्य प्रदेश राज्य के सबसे विकसित और प्रमुख संभागों में से एक है, जो न केवल औद्योगिक और शैक्षिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अपने ऐतिहासिक धरोहर, प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक विविधता के कारण भी विशेष है।
इंदौर संभाग का परिचय – इंदौर संभाग मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग में स्थित है और उच्च स्तर की बुनियादी सुविधाओं, व्यापारिक केंद्रों और औद्योगिक प्रगति के लिए जाना जाता है. इस संभाग में आठ जिले हैं, प्रत्येक में कई तहसीलें हैं।
इंदौर संभाग के जिले और तहसील –
1.इंदौर जिला – इंदौर मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा और सबसे अधिक जनसंख्या वाला जिला है। यह राज्य का व्यापारिक और औद्योगिक केंद्र भी है। प्रमुख तहसीलें: 1. इंदौर, 2. देपालपुर, 3. सांवेर, 4. महू, 5. हातोद
2.धार जिला – धार जिले में प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक धरोहरें हैं। यहां की बाघ गुफाएं और मांडू किला बहुत प्रसिद्ध हैं। मुख्य तहसीलें- धार, बदनावर, सरदारपुर, मनावर, कुक्षी, गंधवानी हैं
3.झाबुआ जिला – झाबुआ जिले में अधिकांश आदिवासी लोग रहते हैं। यह जिला अपनी सांस्कृतिक मान्यताओं और भील जनजाति के लिए जाना जाता है। प्रमुख तहसीलें: झाबुआ, थांदला, पेटलावद, रानापुर, मेघनगर.
4. अलीराजपुर जिला – यह जिला 2008 में झाबुआ से अलग होकर बना था। यह भी आदिवासी बहुल क्षेत्र है और इसकी प्राकृतिक सुंदरता मनमोहक है।
मुख्य तहसीलें: अलीराजपुर, जोबट, भाभरा, कट्ठीवाड़ा
5. बड़वानी जिला – नर्मदा नदी के किनारे स्थित यह जिला अपने प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है।
मुख्य तहसीलें: बड़वानी, सेंधवा, पानसेमल, राजपुर, निवाली, वरला
6. खंडवा जिला – खंडवा जिला अपने धार्मिक महत्व के कारण प्रसिद्ध है। यह महान संगीतकार किशोर कुमार की जन्मभूमि भी है।
- मुख्य तहसीलें: खंडवा, हरसूद, पुनासा, खालवा
7. खरगोन जिला – खरगोन जिला अपनी कृषि उपज, विशेषकर मिर्च उत्पादन के लिए जाना जाता है। यहां का महेश्वर किला भी एक प्रमुख पर्यटन स्थल है।
- मुख्य तहसीलें: खरगोन, बड़वाह, कसरावद, महेश्वर, भीकनगांव, गोगावां
8. बुरहानपुर जिला – बुरहानपुर मध्य प्रदेश का एक ऐतिहासिक जिला है, जो मुगलों के समय में महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र रहा था।
- मुख्य तहसीलें: बुरहानपुर, नेपानगर, खकनार
इंदौर संभाग का आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व
औद्योगिक विकास – मध्य प्रदेश का “डेट्रॉइट” पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र इंदौर संभाग में है। यह भारत के प्रमुख उत्पादन और ऑटोमोबाइल केंद्रों में से एक है।
शैक्षिक केंद्र– इंदौर संभाग को मध्य भारत का शिक्षा हब बनाने वाले संस्थानों में आईआईटी इंदौर, आईआईएम इंदौर, डीएवीवी विश्वविद्यालय और कई अन्य शामिल हैं।
पर्यटन और विरासत – संभाग में कई ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थल हैं:
बुरहानपुर के मुगलकालीन स्मारक
मांडू किला (धार)
महेश्वर किला (खरगोन)
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (खंडवा)
कृषि और व्यापार – यह संभाग कृषि उत्पादन में भी आगे है। खासकर, सोयाबीन, गेहूं, मिर्च, और कपास की खेती यहां बड़े पैमाने पर की जाती है।
इंदौर संभाग में बहुत से ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक स्मारक हैं, जो इसे मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा औद्योगिक और शैक्षणिक केंद्र बनाते हैं। इंदौर संभाग में हर जिला और तहसील अलग-अलग महत्व रखता है।इस विभाग का योगदान हर क्षेत्र (व्यापार, पर्यटन, शिक्षा और कृषि) में विशिष्ट है।
इंदौर संभाग का इतिहास – पुराने समय से ही इंदौर संभाग सांस्कृतिक, व्यापारिक और राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है, मालवा के परमार शासकों, मुगलों, मराठों और ब्रिटिश शासन से आज के आधुनिक इंदौर संभाग तक. आइए, इसके ऐतिहासिक पहलुओं को विस्तार से समझते हैं।
प्राचीन काल: परमार और मालवा साम्राज्य – इंदौर संभाग का क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से मालवा क्षेत्र का हिस्सा रहा है।
यह क्षेत्र परमार वंश के अधीन था, जिनकी राजधानी धार थी। परमार राजाओं में मुनजराज और राजा भोज (1010-1055 ई.) का विशेष योगदान रहा।
राजा भोज ने धार में अनेक मंदिरों और शिक्षा संस्थानों का निर्माण करवाया था।
महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल:
- धार का भोजशाला (संस्कृत और शिक्षा का प्रमुख केंद्र)
- मांडू का किला (परमार और अफगान शासकों द्वारा निर्मित)
मध्यकाल: दिल्ली सल्तनत और मुगल शासन – 12वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत के आक्रमणों के बाद इस क्षेत्र को मुस्लिम शासकों ने नियंत्रित किया। 16वीं शताब्दी में मुगलों ने इसे अपनी राजधानी बनाया। मुगल काल में मांडू मालवा की राजधानी थी।
महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक:
दिल्ली सल्तनत के खिलजी और तुगलक वंश का प्रभाव मांडू में अफगान शासक बाज बहादुर और रानी रूपमती की प्रेम कहानी ने बुरहानपुर मुगलों के दक्षिण भारत अभियान को प्रेरित किया
मराठा शासन: इंदौर का उत्थान – 18वीं शताब्दी में मराठों ने इस जगह को जीता। 1766 में, मल्हारराव होल्कर ने इंदौर को होल्कर रियासत का राजधानी बनाया।
मुख्य घटनाएं:
- अहिल्याबाई होल्कर (1767-1795) के शासन में इंदौर का विकास
- महेश्वर को धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र बनाया गया
- 1857 की क्रांति में इंदौर और आसपास के क्षेत्रों की भागीदारी
ब्रिटिश शासन और आधुनिक इंदौर
1818 में होल्कर रियासत ब्रिटिश राज्य का हिस्सा बन गई। इंदौर एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और सरकारी केंद्र बन गया। ब्रिटिश शासन के दौरान औद्योगिकीकरण, शिक्षा और रेलवे का विस्तार हुआ।
महत्वपूर्ण परिवर्तन:
- 1875 में इंदौर नगर निगम की स्थापना
- 1926 में इंदौर में मध्य भारत की पहली विश्वविद्यालय स्थापना (डीएवीवी)
- बुरहानपुर और खंडवा में रेलवे का विस्तार
स्वतंत्रता संग्राम और इंदौर संभाग – इंदौर जिला भी भारत की आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण था। 1920: महात्मा गांधी ने 1942 में इंदौर की यात्रा की: 1947 में इंदौर, धार और बुरहानपुर में भारत छोड़ो आंदोलन में विरोध प्रदर्शन: भारत की स्वतंत्रता के बाद इंदौर मध्य भारत राज्य में शामिल हो गया।
वर्तमान युग: औद्योगिक और शैक्षिक हब – आज मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा आर्थिक और शैक्षणिक क्षेत्र इंदौर है। आईआईटी और आईआईएम की स्थापना से पीथमपुर में ऑटोमोबाइल उद्योग ने इंदौर को “स्वच्छता में नंबर 1” शहर बनाया इंदौर संभाग का इतिहास दिलचस्प है, जो प्राचीन परमार शासन से आज के औद्योगिक केंद्र तक जाता है। इसे मध्य प्रदेश का सबसे महत्वपूर्ण संभाग बनाने के लिए इसकी ऐतिहासिक धरोहर, सांस्कृतिक विरासत और औद्योगिक प्रगति है।